तुम्हे ढुंडा इस तरह गल्ली गल्लीयो में
भुल गये है खुद का मकान कोनसे गल्लीयो में
खुदा और तुम बुलकुल ही हो एक जैसे
दोनो घर बना लेते हो रकीब के गल्लीयो में
कामयाबी में लगते चार चॉद होती दुकान
अगर दिल रफ्फू करनेकी तुम्हारी गल्लीयो में
मौतसे ना डरता हू लेकीन हा मगर
एक ख्वाईश ना आये वह तुम्हारी गल्लीयो में
ढुंडता रहा मै जिसको इधर उधर
मिली 'राजदा' को गज़ल इसी गल्लीयो में
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